छत्तीसगढ़ में कोरोना के 4 और मरीज स्वस्थ, रायपुर में अब एक भी केस नहीं

राजधानी रायपुर के तीन और राजनांदगांव के एक कोरोना पीड़ित मरीज को पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद रविवार को अस्पताल से छुट्‌टी दे दी गई। चारों का तीन बार अलग-अलग पीरियड में स्वाब का सैंपल लेकर लैब में जांच की गई। तीनों मर्तबा उनकी रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उन्हें घर भेजा गया, जहां वे 14 दिन होम क्वारेंटाइन में रहेंगे। इसके साथ अब प्रदेश में कोरोना के केवल दो पॉजिटिव मरीज रह गए हैं। दोनों ही कोरबा के हैं। जहां तक राजधानी रायपुर का सवाल है, अब यहां का एक भी मरीज अस्पताल में नहीं है।



राजधानी में रविवार को सुबह ही तीनों मरीजों के अस्पताल से छुट्‌टी होने की खबर वायरल हो गई। तीनों के परिवार वालों के साथ-साथ उनके पड़ोस में रहने वाले भी स्वागत के लिए घरों के बाहर आकर खड़े हो गए। आजू-बाजू रहने वाले अपने मकान की छतों पर चढ़कर उनका इंतजार करने लगे। 108 एंबुलेंस जैसे ही उन्हेें लेकर पहुंची सभी ने तालियां और थाली बजाकर उनका स्वागत किया। तीनों में शामिल पीड़ित युवती का मकान नेताजी सुभाष स्टेडियम के पास है।


एक युवक देवेंद्रनगर और दूसरा डंगनिया इलाके का रहने वाला है। एंबुलेंस से उतरने के बाद तीनों ने बाहर खड़े सभी लोगों का अभिवादन किया। परिवार वालों से भी एक निर्धारित दूरी पर ही मुलाकात की और सीधे कमरे में चले गए। अब वे 14 दिनों तक एक ही कमरे में रहेंगे। डाक्टरों ने परिवार वालों को सलाह दी है कि अभी वे उनसे दूरी बनाकर रखें। होम क्वारेंटाइन की समय सीमा पूरी करने के बाद ही वे परिवार वालों से मिल सकेंगे।


पहले दिन से हिम्मत नहीं हारी और ठीक - सिविल लाइन की युवती की जुबानी 
मैं इंग्लैंड से 17 मार्च को रायपुर लौटी और एयरपोर्ट में ही अपनी यात्रा का ब्योरा दे दिया। घर पहुंची तो डॉक्टरों की टीम और अफसर अाए और जांच करके गए। इसके बाद मैं होम अाइसोलेशन में चली गई। 23 मार्च को तबियत बिगड़ी तो डाॅक्टरों को सूचित कर खुद अस्पताल पहुंची। 25 को रिपोर्ट पॉजिटिव अाई तो अस्पताल ले गए। मैं ही नहीं, घरवाले भी शुरू में थोड़ा डरे, लेकिन फिर सबने हिम्मत की। डाक्टरों से लेकर सबने पूरा ध्यान रखा। वे मोटिवेट भी करते रहे और बताते रहे कि अाप ठीक हो रही हैं। जब पता चला कि दो लोग ठीक होकर लौट गए हैं, तो हिम्मत बढ़ गई। मैंने भी 11 दिन तक संघर्ष किया, पर हिम्मत नहीं हारी। सभी लोगों से अपील है कि शक हो तो जांच जरूर करवा लें। काेरोना से डरने की जरूरत नहीं है। 


भरोसा था कि कोरोना से जीतकर लौटूंगा - देवेंद्रनगर के युवक की जुबानी
18 मार्च को रायपुर लौटा और घर अाने के बाद होम क्वारेंटाइन हो गया। 104 में काॅल किया तो 27 मार्च को डाॅक्टरों की टीम अाई और सैंपल ले गई। 28 मार्च को पॉजिटिव मिलने पर एम्स शिफ्ट किया गया। उसे जहां रखा गया था, वहां यूके का एक और युवक था। कभी-कभार उससे बातचीत हुई। शुरू में कुछ अजीब लगा क्योंकि सभी दूर-दूर से बात करते थे। लेकिन फिर मानसिक रूप से तैयार हो गया कि अब कोरोना से लड़ना है। जल्दी ठीक होकर घर लौटना है। इन 7 दिनों में परिवार से दूर था, लेकिन फोन पर सभी संपर्क में थे। मेरा संक्रमण सही समय पर पता चला, इसलिए पूरा परिवार सुरक्षित हो गया। मेरी अपील है कि कोरोना से घबराने की जरूरत नहीं है। कोरोना वाले घबराएं नहीं, सब जल्दी ठीक होंगे। सिर्फ धैर्य रखने और खुद को मजबूत करने की जररूत है।


सकारात्मक सोच से कोरोना को हराया डीडीनगर की युवती की जुबानी


 मैंने कुछ दोस्तों के लोगों के अलावा किसी के फोन नहीं अटेंड किए। अपने अाप को बिजी रखने के लिए मम्मी-पापा से ही दिन में 10-15 बार बात करती थी। 3-4 घंटे तो हम एक-दूसरे को संबल ही देते रहते थे, इससे दोनों चिंता मुक्त रहें। मम्मी योगा जानती हैं तो उनसे सीखा हुअा योग सुबह-शाम करती थी। प्रदेश शासन अौर एम्स में पूरे मेडिकल स्टॉफ की व्यवस्था अौर तैयारी शानदार है। हर दो घंटे में अाकर जरूरत व हाल-चाल पूछते थे। लोगों से कहना चाहूंगी कि कोरोना से डरो मत, इससे तो लड़ना है। मरीज हो तो बी-पॉजीटिव रहिए, अापकी सावधानी अौर जागरुकता ही इससे बचा सकती है।


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